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Wednesday, January 24, 2018

शब्द

A poem of Umesh chandra srivastava

शब्द को पकड़ना ,
शब्द को जीना ,
दोनों में फर्क है।
आज लोग ,
पकड़ रहे हैं शब्द ,
लेकिन जी नहीं,
रहे शब्द !



उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
A poem of Umesh chandra srivastava 

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