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Thursday, August 10, 2017

बड़े कवि अगर हो ,लिखो बात ऐसी

poem by  Umesh chandra srivastava 
 
बड़े कवि अगर हो ,लिखो बात ऐसी ,
धरा का अँधेरा सभी मिट ही जाए। 
वो फूलों की बातें , निगाहों की शोखी ,
मगन हो सजन के लिए लिख रहे हो। 

तो छोड़ो बताऊं लिखो तुम वतन पे ,
जो सैनिक खड़े हैं वहां सीना तने। 
मग्न होके उनका ही धीरज बढ़ाओ ,
वतन के लिए जो ,वतन के हैं प्रेमी।   (क्रमशः  कल )





उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
poem by  Umesh chandra srivastava 

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