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Tuesday, February 21, 2017

मैं तो भोला भाला पंछी

poem by Umesh chandra srivastava 

मैं तो भोला भाला पंछी ,
तू तो चतुर-वतूर ठहरी। 
मैं तो चलता डगर पकड़ के , 
तू तो घूमे गली-गली। 

तेरे रुनझुन के दीवाने ,
तुझको समझें कली-कली। 
मैं तो बौराया हूँ पंछी ,
तुझको समझूं ह्रदयवली। 

तुम तो मुक्त गगन सी लगती ,
कभी खुली, तो कभी बदली। 
मैं तो उमड़ा वह बादल हूँ ,
तुमको देखूँ हली-हली। 

तुम तो समझ परे सी लगती ,
क्या - क्या तुमको नाम मैं दूँ ?
सदा रहो खुशहाल जहाँ भी ,
तुम तो मेरी वली-वली। 


 उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
poem by Umesh chandra srivastava 

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