poem by Umesh chandra srivastava
हम सब भारत की संतान ।
सिख ,ईसाई ,हिन्दू-मुस्लिम ,
सब आपस में भाई-भाई।
उत्तर में हिम गगन स्पर्शी ,
दक्षिण में है विन्ध्य महान।
सदियों से इस अतुल धरा पर ,
गंगा-यमुना का वरदान।
गंगा श्वेत ,जमुन कुछ श्यामल ,
दोनों-उज्वल मन के कोमल।
अतुलित गाथा हिन्द हमारा ,
राणा ,वीर शिवा संतान ।
रग-रग में तो देश प्रेम है ,
हम सब भारत की पहचान ।
सारे देव इसी वसुधा पर ,
आते रहे ,निरन्तर देते -
सद्बुद्धि ,पौरुष महान।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
poem by Umesh chandra srivastava
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