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Sunday, February 5, 2017

बेटियां-2

बेटियां गुल खिलाती यहाँ से वहां ,
हम सभी तो उन्हीं की वजह से हुए।


राधा कृष्णा के साथ -रमी खूब रहीं ,
रुकमणी भार्या ,कान्हा की हो के गयीं ।
ज़िन्दगी भर रही साथ हासिल ही क्या ?
पूजते जा रहे सिर्फ राधा 'औ' कृष्ण।
रुकमणी को बताओ मिला हक़ कहाँ,
पूजा मंदिर में राधा रहीं कृष्णा संग।
रुक्मणी तो रही केवल भार्या यहाँ,
अब बताओ कहाँ तक सहें बेटियां।
उनको हक़ ही नहीं दे सके देवता,
तो बताओ मनुज का यहाँ मोल क्या ?
काम कुछ तो करो-बेटियां नाम हो,
तुम मुकद्दस जहाँ की हो अनमोल देन।
तुम तो अपना मक़द्दर बनाओ यहाँ,
देखो-जग में खिलोगी -तुम तो फूलो जहाँ।


उमेश चंद्र श्रीवास्तव -


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