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Thursday, January 12, 2017

क्यों उदास रहता है तन-मन

क्यों उदास रहता है तन-मन ,
तुम बिन सखी अधूरा जीवन। 
भावों के इस मन-सागर में,
छम-छम ,रुन-झुन ,कोई न धुन। 
ऐसे में सखि जीवन केवल ,
किसी तपस्वी सा ही लगता। 
तप ,जीवन को तपा-तपा कर ,
क्या दुनियावी बातें होंगी। 
तुम जब साथ नहीं हो भोली ,
रात-दिवस सब पानी-पानी। 





उमेश चंद्र श्रीवास्तव -

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