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Wednesday, December 7, 2016

सपने

सपने हकीकत हो सकते ,
गर आसमान से नीचे ,
धरा पर उतरने की ,
कोशिश हो। 
सपने देखना ,
अच्छा गुण है ,
अगर उसमे ,
यथार्थ का दिया जाये पुट। 
सपने सदैव अपने होते ,
गर उसे हकीकत का ,
जमा पहनाया जाये। 
सपने सलोने होते ,
तो उसे सहेजना जरुरी ,
क्योंकि ,
सुंदरता का निखार ,
संजोने में है। 
संजोना ही ,
जीवन की मूल निधि है। 
उसे नियत में ,
शामिल कर ही ,
आगे बढ़ा जा सकता है। 
वरना सब बेकार। 
साकार से परे ,
हो है जाता। 


उमेश चंद्र श्रीवास्तव- 







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