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Saturday, December 31, 2016

बीत गया है वर्ष पुराना ,नव नूतन अब आएगा

बीत गया है वर्ष पुराना ,नव नूतन अब आएगा।
यहाँ-वहां सब फूल बाग़ भी ,खिल-खिल कर मुस्काएगा।
अंशुमाली प्राची से भी ,वसुधा को दमकायेंगे।
इधर जनों में प्रेम भाव का ,अंकुर विस्तारित पाए।
राजनीति की अटखेली भी ,समतल भूमि पर झूमे।
उलट-बासी 'औ' तिकड़मबाजी , फुर-फुर से उड़ जाये यहाँ।
मौसम ने करवट तो ली है ,जन भी माधु मुस्काएगा।
उधर विरहणी न अब तड़पे ,विरह अग्नि की ज्वाला में।
सुन्दर उज्वल चेहरा वाला ,बच्चा भी हरषायेगा।
मधु रागों की राग रागिनी ,मधुवन जैसे फैले यहाँ।
आशुतोष की व्यापकता में ,पूरा जग भी झूम उठे।
मिथ्यवादिता जड़ से जाये ,सत्य आवरण खोल, बढ़े।
सद्बुद्धि से नेता पनपे ,यभी जगत बन पायेगा।
आओ मिलकर गीत यहाँ पर,खुशियों के हम सब गायें।
झूमे ,नाचें मस्ती में सब ,'औ' सबको भी मस्त करें।
नारी का सम्मान बढे ,'औ' नारी मुदित रहे यहाँ।
लोग-बाग़ की जननी वह तो ,बहन ,दुहिता मान बढ़े।
अपना प्यारा ध्वजा तिरंगा ,विश्व पटल पर लहराये।
वीर सपूत भी रणभूमी में ,अपना डंका बजवायें।
आकुल-व्याकुल रहें यहां न , सबमें पुलक विचार बने।
जड़ से दूषण मिटे यहाँ पर ,स्वास सरस सब हो जाये।
चोरी-ओरी की जड़ता भी ,समूल नष्ट हो जाये यहाँ।
हमको भारत देश है प्यारा ,भारत विश्व में है न्यारा।
प्यारे भारतवासी सुन लो ,भारत है सर्वोच्च यहाँ।
विश्व विदित है भारत गरिमा ,आगे बढे ,सम्मान मिले।
लोक हितों की बात सोचकर , जन-मन भी सब काम करें।
स्वार्थ-वार्थ को जड़ से फेको ,अपने में स्वाभिमान भरो।
यही बात व्यवहार ही पनपे ,नाव नूतन मय वर्ष रहे।







उमेश चंद्र श्रीवास्तव -

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