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Saturday, October 1, 2016

कारा निज मन का हर दो

माँ का दिवस रोज होता है ,
माँ से ही सब सृष्टि है। 
लेकिन नव दिन मात-चरण का ,
सुलभ विशेष दिवस दिन है। 
श्रद्धा भक्ति से जन सारे ,
माँ चरणों में अर्पण। 
भाव विभोर भक्ति भाव से। 
माँ से करते हैं वंदन। 
माँ तुम धन-धान्य से भर दो,
निज कुटुंब, निज देश को माँ। 
भक्त तुम्हारा सदा रहेगा ,
तुम ही तो जग की माता। 
जिसने पाला कोख में धरकर,
वह भी संतति है तेरी। 
इसीलिए है तेरी महत्ता ,
माँ जग जननी तुम ही हो। 
श्रद्धा भाव ,प्रेम से पूरित ,
जल,माला 'औ'  फूल लिए  ,
अर्पण करता हूँ चरणों में ,
बुद्धि ,बल प्रदान करो। 
भक्त तुम्हारा निस-दिन भजता ,
भक्त का तुम उद्धार करो। 
मोह-माया को त्याग-वाग कर,
जन हित में कुछ काम करे। 
माँ तुम बस यह ही वर दो ,
कारा निज मन का हर दो।


उमेश चंद्र श्रीवास्तव- 

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