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Friday, September 30, 2016

बढे चलो

रणबीच सैनिकों के आगे ,पाक का हौसला पस्त हुआ। 
भारत के लाल सपूतों ने ,इनके छक्के सब छुड़ा दिए। 
संगीने लेकर दौड़-दौड़,'औ' घेर -घेर के मारा है। 
तुम वीर सपूतों भारत के ,तुम पर धरती तो नाज करे।
तुम डटे रहो घुस जाओ तुम,उन देश के सब गद्दारों को। 
जो भी फितरत में द्रोही हों ,उनको तुम मार गिराओ अब। 
तुम वीर जवानों भारत के ,सैनिक अमर दृढ़ योद्धा हो। 
जब-जब सरहद पर आंच लगी ,तुमने डट करके मारा है। 
दुश्मन के हौसले चूर-चूर ,तुमने उनको ललकारा है। 
यह पाक-वाक जितने सारे , सब को तुम मार भगाओ अब। 
धरती के अमर हे वीर पुरुष ,तुम पर भारतवासी सब नाज करे। 
तुम डटे रहो, तुम बढे चलो ,दुश्मन को भगा कर ही मानो। 
तुम पर न्योछावर जन सभी , अपने को अकेला मत जानो। 
यह भारतवासी जितने हैं ,सब साथ तुम्हारे खड़े हुए। 
कंधे से कन्धा मिला -मिला ,दुश्मन को मार भगाएंगे। 
तुम बढे चलो,तुम बढे चलो,यह पाक नापाक इरादे को। 
तुम ध्वस्त करो चकनाचूर ,तुम भारत के हो लाल अमर। 
तुम पर है नाज सभी जन को ,तुम बढ़े चलो ,तुम बढे चलो। 
सरहद के जवानों बढे चलो ,वह माँ जननी भी धन्य हुई। 
जिसने तुम्हे कोख में पाला था,उसका ऋण भार उतारो तुम। 
 भारत के सैनिक बढे चलो ,तुम बढे चलो,तुम बढे चलो। 
जय हो भारत की जय बोलो ,मन के सारे पट को खोलो। 
तुम अमर पुरोधा बढे चलो , तुम बढ़े चलो ,तुम बढे चलो।




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