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Wednesday, September 14, 2016

हिंदी दिवस पर विशेष

हिंदी दिवस का पर्व सुहाना।
आओ हम सब मिलकर गायें। 
हिंदी को जन-जन अपनाये,
बने विश्व की भाषा। 
यही है अभिलाषा,
यह मन सुलभ-बहुत प्रिय बोली। 
इसी से जुड़ती, असंख्य ठिठोली। 
कई मुहावर-इसमें होते। 
लोकोक्ति की तो बात निराली। 
यह तो डोले गांव-गांव में,
शहर में इसकी होती बोली। 
शहरो में जो भी हैं प्राणी,
गांव से रिश्ता रखने वाले। 
वे निज घर में अपनी बोली,
मात्र परंपरा को ही फैलाये। 
और यही सब इन बोली को,
परिमार्जित कर भाषा बनाये। 
क्या कोई भी और बताओ?
है हिंदी की नई परिभाषा?
बिमर्श करो बस इसी धुरी पर,
कहो- बने यह, विश्व की भाषा। 
यही शपथ मिलजुल हम खाये,
हिंदी का वितान बढ़ाये। 
हिंदी का हम फूल खिलाये,
उपवन ही हिंदी का बनाये। 
चलो सभी जन मिलजुल करके,
हिंदी दिवस का पर्व मनाये।  
                                          -उमेश चंद्र श्रीवास्तव 

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