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Sunday, September 11, 2016

बिटिया रानी

बड़े धीरे चलो बिटिया रानी।
तुमसे ही जगत में है पानी।
तुमपे न्योछावर मात-पिता।
संघी,संघाती और जनप्रतिनिधी।
               बड़े धीरे चलो बिटिया रानी।

मुखड़ा तुम्हारा दमा-दम दमके।
कीरत तुम्हारी चमा-चम चमके।
तुम ही संसार की अद्भुत हो रचना।
सब कहते यह ,सब मानी।
             बड़े धीरे चलो बिटिया रानी।
तेरे सम्मान में जो अंख मूंदे हैं।
तुझको ही ढाल बना -आगे बढे हैं।
उनका समझ लो , लोक जगत  से -
उठ गया दाना -पानी।
             बड़े धीरे चलो बिटिया रानी।
तुम ही तो वीर हो , तुम ही वीरांगना।
तुम से ही खिलता है सबका अंगना।
तुम ही तू शान हो ,विद्व समाज की।
तुमको लिखे कवि  कल्यानी।
          बड़े धीरे चलो बिटिया रानी।
भू , जंगल ,पर्वत और पानी ,
तेरे रक्षार्थ ही रमे  हुए हैं।
 कृष्णा ने रक्षा की तेरे भले की ,
तू तो जगत की अमर बानी।
           बड़े धीरे चलो बिटिया रानी।


-उमेश चंद्र श्रीवास्तव 







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