month vise

Friday, September 2, 2016

गीत

खनके चूड़ी, कंगना "औ",
पायल बाजे छम-छम-छम। 
आहट तेरे आने की,
कुछ होती हर दम-दम-दम। 
रूप तेरा दर्पण है "औ",
नयन तेरे है नम-नम-नम। 
चाल तेरी मतवाली,
जो लय में होती हर दम-दम-दम। 
बात तेरी है शीरी,
जो मिश्री घोले पल-पल-पल। 
बात बताऊ क्या-क्या?
तू रूप की सागर हर दम-दम-दम। 
प्रभु ने तुम्हे बनाया,
कुछ फुरसत के ही छड़-छड़-छड़।   
                                                 उमेश चंद्र श्रीवास्तव 

No comments:

Post a Comment

काव्य रस का मैं पुरुष हूँ

A poem of Umesh Srivastava काव्य रस का मैं पुरुष हूँ गीत गाने आ गया | खो रही जो बात मैं उसको बताने आ गया | रात चंदा ने चकोरी से कहा तुम जान ...