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Tuesday, July 26, 2016

चिट्ठियाँ पढ़ ले ओ चितचोर

चिट्ठियाँ पढ़ ले ओ चितचोर |
दूर गगन से मंजुल बातें ,
रिमझिम  सावन की बरसातें ,
नयन भिगो के कह जाती हैं
सुदबुध मे चन्दन सा घोल |
जीवन मिला निभा लो अपना ,
सुंदर सपना मोहक रोल |


सांची जग की सांची बातें ,
सीधी सादी नहीं हैं रातें ,
बादल उमड़ –उमड़ कर चलते ,
मन मे रसना उमड़ रही है ,
दिवस पहरुए लोच मारते
ठगनी काला मचाती शोर |

आवा –गमन यहाँ लगता है ,
मेले मे जन मन खोता है,
सुध बुध का अनमोल जतन कर ,
जीवन के पथ पर आगे बढ़ ,
दिशा , दशा की समतल बातें ,
मंथन कर आएगी भोर |  


                        -उमेश  श्रीवास्तव 

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