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Thursday, June 30, 2016

लाठियां

लाठियां बरसती रहीं,आंदोलनकारी भागते रहे,गिरते-पड़ते  लुढकते-चीखते, कराहते और चिल्लाते,पुलिस दौड़ाती रही,और वह नेतृत्व करने वाला नेता,बंद शीशे के कार में-बैठा, खामोश-साध रहा था-अपना जोड़,मोल-टोल चल रहा था मोबाइल पर,उधर से आवाज़ आई,'ठीक है।',और वह कार घुमाकर-चल दिया,छोड़ आंदोलन कारियों को,मरने-खपने,जेल जाने की होड़ में-छोड़ कर!
                                 - उमेश  श्रीवास्तव 

Tuesday, June 28, 2016

राष्ट्रवाद

राष्ट्रवाद का नया विशेषण ,
हर बातों का  खुद संश्लेषण ,
क्या तुम बोलो निर्माता हो ?
 कौन भला ही काम  किया है?
जन-मन को क्यों भ्रमित कर रहे ?
बोलो,मूक बने क्यों दर्शक?
तिमिरालय मन का पट खोलो !
बोलो आखिर कुछ तो बोलो-
डींग मारते घूम रहे हो ,
राष्ट्रवाद के तुम्ही हिमायक –
जनता सब है गूंगी बहरी |
दास प्रथा अब चली गयी है
लोकतन्त्र का डंका बजता ,
सारे जन-मन हैं विवेकमय-
नाहक तुम प्रलाप कर रहे |
स्वार्थ तुम्हारा क्या है इसमे ?
कुछ तो बोलो , कुछ तो बोलो,
राष्ट्रवाद के बने प्रदर्शक
मार्ग दिखाओगे अब तुम ही !
निरपेक्ष भाव से ऊपर उठ कर –
जाओ हटो , नहीं है तेरा –
कामवाम अब इस धरती पर-
ढोंग रचाकर मत भरमाओ |
डोलो,नाचो, गाओ थिरको ,
नहीं चलेगी बात तुम्हारी ,
जनता तुम्हें उठा फेकेगी ,
मत तुम अब इतना इतराओ |
राष्ट्रवाद का नया विशेषण ,
हर बातों का  खुद संश्लेषण ,
क्या तुम बोलो निर्माता हो ?


Friday, June 24, 2016

मुक्तक


इस हृदय पटल के पट पर,
असीमविचार अगोचर |
चिति-माती का करो समन्वय,
बन जाओ आजार अमर तुम |
                         - उमेश श्रीवास्तव 


Thursday, June 23, 2016

'करुणा' काव्य संग्रह से...

माझी तूने भी मुझको,
इस करुणालय में भेजा।  
खेला करता था मैं भी,
'मैं' की स्वच्छन्द वहं खेला। 
उस गहन पिंड में पल कर,
आलोकित मैं हो जाता। 
वेदना असीम वहां की,
निज मुख से न कह पता।  
जीवन दे कर तूने तो,
 किस मधु जाल में घेरा|| 
                                             - उमेश  श्रीवास्तव   

Wednesday, June 22, 2016

कर्म क्षेत्र रणभूमि यही है-
मानव हो तुम कर्म करो,
 कर्म से कभी विमुख न रहना-
 मन मे यह संकल्प करो |
                                          - उमेश  श्रीवास्तव 

काव्य रस का मैं पुरुष हूँ

A poem of Umesh Srivastava काव्य रस का मैं पुरुष हूँ गीत गाने आ गया | खो रही जो बात मैं उसको बताने आ गया | रात चंदा ने चकोरी से कहा तुम जान ...